ट्रैक्टरों का काफिला दिल्ली कोच के लिए रफ्तार पकड़ चुका हैकिसानों को रोकने के लिए आंसू गैस लाठी डंडे नुकीली तारे और बॉडीगार्ड किट के साथ फोर्स तैनात हैएक और किसानों का जत्था है तो दूसरी ओर पुलिस का पूरा दलबल कटीले तार ड्रोन से आंसू गैस किले बंदूके और सड़कों पर सीमेंट वाली ब्रैकेट सब कुछ इंतजाम कर दिया गया है।
और इंतजाम इसलिए ताकि किसानों का कोई भी जत्था देश की राजधानी में एंट्री ना ले सके सिर्फ लोगे और सीमेंट की ही बैरिकेडिंग नहीं की गई है बल्कि कंक्रीट की दीवारों को रातों-रात खड़ा कर दिया है सड़क पर मकसद इस बार वही की किस दिल्ली ना पहुंच सके किसी भी कीमत पर पुलिस जितनी तैयारी का दम भर रही है किस भी उतनी ही दमदारी से आगे बढ़ रहे किसानों ने इस बार आंदोलन को चलो दिल्ली मार्च का नाम दिया है लेकिन इस बार किसान आंदोलन 2.0 दूसरा आंदोलन भी कहा जा रहा है किसानों का इस बार आंदोलन 2020-21 में हुए किसान आंदोलन से कितना अलग है।
Farmers Protest के समर्थन या विरोध से पहले किसानों की असली मांगें जान लीजिए
और इस बार किसानों की मांग क्या असल में यह किस ए क्यों है देश में जब भी इस तरीके का आंदोलन होते हैं तो एक तक का विरोध में खड़ा हो जाता है एक तब का समरथान में हमारा कहना है कि एक बार किसानों की मांगों को जान लीजिए उसके बादअपना फैसला खुद कीजिए पिछली बार की तुलना में इस बार किसान आंदोलन कैसे अलग है और किसान आंदोलन कृषि कानून के खिलाफ पर पिछली बार बार लेकिन इस बार तो ऐसा कोई कानून नहीं है किस उसे वक्त जीते भी थी सरकार झुकी सरकार बैक फुट पर गई किसानों की वजह से नरेंद्र मोदी सरकार को अपने तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े थे किसानों का अब आप है कि पिछले आंदोलन के समय सरकार में एसपी पर जो गारंटी देने का वादा किया था।
उसे वादे को सरकार ने पूरा नहीं किया एसपी के साथ बाकी जो मुद्दे किया वह भी पूरे नहीं किए गए इसलिए किसान फिर से दिल्ली पूछ कर रहे हैं आंदोलन कर रहे हैं इसके साथ ही पिछली बार यह किसानों ने अपने आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा के तले या आंदोलन किया था लेकिन इस बार आंदोलन अलग-अलग किस संगठन एक साथ आकर कर रहे थे वैसे आपको बता दे पिछले आंदोलन से सीखते हुए इस बार किसान अपने साथ ट्रैक्टर ट्राली और राशन साथ लेकर आ रहे हैं यानि पिछली बार की तरह इस बार भी किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर धरना देने का है और उनकी कोशिश तो यह हैकी दिल्ली के अंदर जाकर के धरा दिया जाए तो किसानों की जो मांगे हैं।
Farmers Protest in Delhi
उसको आप पॉइंट वाइज समझ लीजिए पहले मांगे किसने की जो सबसे हमें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एसपी के लिए कानून बने दूसरी मांग है स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश से लागू हो गई स्वामीनाथन आयोग वही वही स्वामीनाथन की थी किसने की बेहतरीन के लिए जो अब तक कई सरकारी नहीं लागू कर पाएंगे मोदी सरकार से सिफारिश को लागू किया जाए उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए एक सरकार को नौकरी दिए सरकार किसानों को जो चौथी मांगे 58 साल से अधिक उम्र की खेती और मजदूरों के लिए प्रतिमा पेंशन पांचवी मार्ग आंदोलन में शामिल किसान कृषि विभाग करने की मांग कर रहे हैं छठी लखीमपुर खीरी हिंसा के जो पीड़ित होने जल्द से जल्द न्याय मिलेएस फूल को कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए आठवां जो है नकली बीच कीटनाशकों और उर्वरक बनाने बेचने वाली कंपनियों पर कार्रवाई हो और उनकी जो मात्र उसमें होने पाए नया मिर्च हल्दी और बाकी सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना हो दसवां विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए किसानों की मांग है कि एसपी जो है।
उसको लागू किया जाए वह सबसे वाले दिनों में कम दाम पर किसानों से कोई फसल नहीं खरीद पाए ऐसा किसने का कहना है अगर कोई फसल कम कीमत पर फसल खरीदना है तो वह कानून अपराध होगा किस के तमाम मांगों को लेकर 12 फरवरी को यानी चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच बैठक भी हुई लेकिन वह बनाती जा रही जिसके बाद 13 फरवरी को किस पूरी तैयारी और दलबल के साथ दिल्ली की तरफ पूछ कर रहे हैंऔर तमाम जो भी अपडेट आ रहे हैं किसान आंदोलन से जुड़े वह अब तक पहुंचाते रहेंगे।